वक्त की बुलंदी जब अपने उरूज पर होती है! तब सुल्तान की सल्तनत से नवाब भी उठा लिए जाते हैं, इसलिए ज़ुल्म और जुर्म उतना ही करो, जितना तुम सह सको ! वक
वक्त की बुलंदी जब अपने उरूज पर होती है! तब सुल्तान की सल्तनत से नवाब भी उठा लिए जाते हैं, इसलिए ज़ुल्म और जुर्म उतना ही करो, जितना तुम सह सको ! वक