इंसान ख्वाइशों से बँधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है। उम्मीदों से ही घायल है, और उम्मीदों पर ही जिन्दा है।
इंसान ख्वाइशों से बँधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है। उम्मीदों से ही घायल है, और उम्मीदों पर ही जिन्दा है।