पढ़ता हूँ तो कहती है ख़ालिक़ कि किताब, है मिस्ल-ए-यहूदी ये सऊदी भी अज़ाब! उस क़ौम के बारे में क्या लिखूँ फ़राज़, क़ाबे की कमाई से जो पीते हैं शरा
पढ़ता हूँ तो कहती है ख़ालिक़ कि किताब, है मिस्ल-ए-यहूदी ये सऊदी भी अज़ाब! उस क़ौम के बारे में क्या लिखूँ फ़राज़, क़ाबे की कमाई से जो पीते हैं शरा