जौं रन म हमहि पुकारे कोऊ । लडहिं सुखेन काल क्यों न होऊ! ॥ क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना । कुल कलंकु तेहि प्रावँर आना ॥ कहउँ सुभाउ न कुलहि प्रशंसी
जौं रन म हमहि पुकारे कोऊ । लडहिं सुखेन काल क्यों न होऊ! ॥ क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना । कुल कलंकु तेहि प्रावँर आना ॥ कहउँ सुभाउ न कुलहि प्रशंसी