क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ? यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती ? और यदि नहीं खाते हैं, तो भोग लगाने का क्या
क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ? यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती ? और यदि नहीं खाते हैं, तो भोग लगाने का क्या