"सबकुछ क्यों सहा जाए, दायरों में कबतक रहा जाए। मौन करेगा प्रश्न बहुत से, बेहतर है कुछ कहा जाए।।"
"सबकुछ क्यों सहा जाए, दायरों में कबतक रहा जाए। मौन करेगा प्रश्न बहुत से, बेहतर है कुछ कहा जाए।।"