प्रभु राम कहते हैं: क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना कुल कलंकु तेहिं पावँर आना कहउँ सुभाउ न कुलहि प्रसंसी कालहु डरहिं न रन रघुबंसी भाव:-क्षत्र
प्रभु राम कहते हैं: क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना कुल कलंकु तेहिं पावँर आना कहउँ सुभाउ न कुलहि प्रसंसी कालहु डरहिं न रन रघुबंसी भाव:-क्षत्र