मैं वो हूं जिसकी ध्वजा बही  तो अरुण गगन का लाल हुआ   मैने चाहा जग सूक्ष्म हुआ ,  मुझसे ही जग विकराल हुआ     मैं राणा वाली अरावली,   मैं झर झर बहती सिं 
    मैं वो हूं जिसकी ध्वजा बही  तो अरुण गगन का लाल हुआ   मैने चाहा जग सूक्ष्म हुआ ,  मुझसे ही जग विकराल हुआ     मैं राणा वाली अरावली,   मैं झर झर बहती सिं