भारत के महान साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की कालजयी कविता “ठाकुर का कुआँ” में ठाकुर जातिसूचक शब्द नहीं है। यहाँ “ठाकुर” गाँवों में पसरे सामंतवाद क
भारत के महान साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की कालजयी कविता “ठाकुर का कुआँ” में ठाकुर जातिसूचक शब्द नहीं है। यहाँ “ठाकुर” गाँवों में पसरे सामंतवाद क